Punit shrivas

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कलयुग की एक दास्तां

कलयुग की कहानीया मित्र झूठी कहा है

स्वार्थ लोभ धोखा जैसी रीते टूटी कहा है
एक बेटा जो माँ की अस्थियां समेट रहा है
वो ये खोज रहा है कि माँ की अंगूठी कहा है

पुनीत कुमार

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